पानी को रोकने के किसी भी प्रयास को एक्ट ऑफ वॉर माना जाएगा

पानी को रोकने के किसी भी प्रयास को एक्ट ऑफ वॉर माना जाएगा
पानी को रोकने के किसी भी प्रयास को एक्ट ऑफ वॉर माना जाएगा

नई दिल्ली ने संघर्ष विराम समझौते की किसी विशिष्ट तारीख पर कोई टिप्पणी नहीं की है

तथा भारतीय सेना ने गुरुवार को कहा कि दोनों देशों ने तनाव कम करने के लिए विश्वास

बहाली उपायों को लागू करना जारी रखने का निर्णय लिया है।पाकिस्तान के विदेश मंत्री

इशाक डार ने भारत के साथ दोनों देशों के बीच सभी विवादास्पद मुद्दों को सुलझाने के

लिए समग्र वार्ता का आह्वान किया। इसके साथ ही पाकिस्तानी मंत्री ने सिंधु जल संधि

(आईडब्ल्यूटी) को लेकर एक तरह की चेतावनी जारी की है। पाकिस्तानी सीनेट को

संबोधित करते हुए इशाक डार ने कहा कि भारत के साथ संघर्ष विराम 18 मई तक बढ़ा

दिया गया है, लेकिन सभी समस्याओं को हल करने के लिए अंततः एक राजनीतिक प्रक्रिया

अपनानी होगी। नई दिल्ली ने संघर्ष विराम समझौते की किसी विशिष्ट तारीख पर कोई

टिप्पणी नहीं की है तथा भारतीय सेना ने गुरुवार को कहा कि दोनों देशों ने तनाव कम

करने के लिए विश्वास बहाली उपायों को लागू करना जारी रखने का निर्णय लिया है।

पानी को रोकने के किसी भी प्रयास को एक्ट ऑफ वॉर माना जाएगा

भारत द्वारा स्थगित रखी गई ‘सिंधु जल संधि’ के संदर्भ में पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री

इशाक डार ने कहा कि हमने दुनिया को बताया है कि हम एक समग्र वार्ता करेंगे। उन्होंने

दोहराया कि पाकिस्तान के पानी को रोकने के किसी भी प्रयास को एक्ट ऑफ वॉर माना

जाएगा। इससे पहले गुरुवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी भारत के

साथ शांति वार्ता के लिए तत्परता व्यक्त की थी। पहलगाम आतंकवादी हमले और भारत

के ऑपरेशन सिंदूर को लेकर दोनों देशों के बीच चार दिनों तक सैन्य टकराव चला था।

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान के साथ कोई भी

बातचीत केवल सीमा पार आतंकवाद को उसके समर्थन पर ही होगी और उन्होंने इस मुद्दे

पर बातचीत करने की इच्छा व्यक्त की। जयशंकर ने तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की किसी

भी संभावना को खारिज करते हुए कहा पाकिस्तान के पास आतंकवादियों की एक सूची है

जिन्हें सौंपने की जरूरत है। उन्हें आतंकवादी बुनियादी ढांचे को बंद करना होगा, वे जानते

हैं कि क्या करना है। जयशंकर ने कहा कि यह कई वर्षों से राष्ट्रीय सहमति है, और इस

सहमति में कोई परिवर्तन नहीं आया है कि पाकिस्तान के साथ व्यवहार द्विपक्षीय होगा।

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