एक राष्ट्र एक चुनाव सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है-सांसद संध्या राय
सांसद श्रीमती संध्या राय ने कहा की एक राष्ट्र एक चुनाव से खर्च की बचत सरकार की विकास योजनाएं जनजाति
तक पहुंचेंगे
सांसद श्रीमती संध्या राय, विधायक श्री नरेंद्र सिंह कुशवाह ने शासकीय एमजेएस महाविद्यालय परिसर में विचार संतुष्टि को संबोधित किया-
भिण्ड।भिण्ड दतिया लोकसभा सांसद श्रीमती संध्या राय ने शासकीय एम जे एस महाविद्यालय परिसर में एक राष्ट्र एक चुनाव की विचार संगोष्ठी में छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारत का लोकतांत्रिक ढांचा अपनी जीवंत चुनावी प्रक्रिया के आधार पर फल-फूल रहा है और नागरिकों को हर स्तर पर शासन को सक्रिय रूप से आकार देने में सक्षम बनाता है। स्वतंत्रता के बाद से अब तक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के 400 से अधिक चुनावों ने निष्पक्षता और पारदर्शिता के प्रति भारत के चुनाव आयोग की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया है। हालाँकि, अलग-अलग और बार-बार होने वाले चुनावों की प्रकृति ने एक अधिक कुशल प्रणाली की आवश्यकता पर चर्चाओं को जन्म दिया है। इससे “एक राष्ट्र, एक चुनाव”की अवधारणा में रुचि फिर से जग गई है। सांसद श्रीमती राय ने कहा कि”एक राष्ट्र, एक चुनाव” के इस विचार को एक साथ चुनाव के रूप में भी जाना जाता है, जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक ही साथ कराने का प्रस्ताव प्रस्तुत करता है। इससे मतदाता अपने निर्वाचन क्षेत्रों में एक ही दिन सरकार के दोनों स्तरों के लिए अपने मत डाल सकेंगे, हालाँकि देश भर में मतदान कई चरणों में कराया सकता है। इन चुनावी समय-सीमाओं को एक साथ जोड़ने के दृष्टिकोण का उद्देश्य चुनावों के लिए किए जाने वाले प्रबंध से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करना, इसमें लगने वाले खर्च को घटाना और लगातार चुनावों के कारण कामकाज में होने वाले व्यवधानों को कम करना है।भारत में एक साथ चुनाव कराने के संबंध में उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट को 2024 में जारी किया गया था। रिपोर्ट ने एक साथ चुनाव के दृष्टिकोण को लागू करने के लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रदान की। इसकी सिफारिशों को 18 सितंबर 2024 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकार किया गया, जो चुनाव सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इस प्रक्रिया के समर्थकों का तर्क है कि इस तरह की प्रणाली प्रशासनिक दक्षता को बढ़ा सकती है, चुनाव संबंधी खर्चों को कम कर सकती है और नीति संबंधी निरंतरता को बढ़ावा दे सकती है। भारत में शासन को सुव्यवस्थित मजबूत करती है। सांसद श्रीमती राय ने कहा कि”एक राष्ट्र एक चुनाव” की अवधारणा का उद्देश्य पूरे भारत में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराना है, जिसमें मतदान एक साथ होगा। वर्तमान में, संसद और राज्य विधानसभाओं के आम चुनाव अलग-अलग होते हैं, या तो सरकार का कार्यकाल समाप्त होने पर या भंग होने पर। इस विचार की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए, सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया एक राष्ट्र एक चुनाव क्या है?एक साथ चुनाव, जिसे “एक राष्ट्र एक चुनाव”भी कहा जाता है, पूरे भारत में एक ही समय पर सभी राज्य विधानसभाओं, लोकसभा और स्थानीय निकायों (नगरपालिकाओं और पंचायतों) के चुनाव आयोजित करता है। 1951-52 से 1967 तक, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते थे। हालाँकि, तब से,हर साल अलग-अलग समय पर चुनाव होते रहे हैं, जिसके कारण अक्सर सरकारी खर्च बढ़ जाता है, सुरक्षा बलों और चुनाव अधिकारियों का काम दूसरे कामों में लग जाता है,और आदर्श आचार संहिता के कारण विकास गतिविधियों में बाधा आती है।
एक राष्ट्र एक चुनाव राष्ट्रीय हित में अति आवश्यक युवा जागृत बने- नरेंद्र सिंह कुशवाह
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता क्षेत्रीय विधायक श्री नरेंद्र सिंह कुशवाह जी ने एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए युवाओं को जागृत करते हुए कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए युवा और मातृशक्ति किसान को जागरूक होना पड़ेगा इसके लिए हम लोगों को जागृत करें भारत सरकार ने यह महत्वपूर्ण निर्णय लेकर चुनाव खर्च की कटौती के लिए यह विचार के लिए आप सभी से प्रस्ताव मांगे हैं। उन्होंने कहा कि
एक साथ चुनाव कराने की अवधारणा भारत में नयी नहीं है। संविधान को अंगीकार किए जाने के बाद, 1951 से 1967 तक लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ आयोजित किए गए थे। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के पहले आम चुनाव 1951-52 में एक साथ आयोजित किए गए थे। यह परंपरा इसके बाद 1957, 1962 और 1967 के तीन आम चुनावों के लिए भी जारी रही।हालाँकि, कुछ राज्य विधानसभाओं के समय से पहले भंग होने के कारण 1968 और 1969 में एक साथ चुनाव कराने में बाधा आई थी। चौथी लोकसभा भी 1970 में समय से पहले भंग कर दी गई थी, फिर 1971 में नए चुनाव हुए। पहली, दूसरी और तीसरी लोकसभा ने पांच वर्षों का अपना कार्यकाल पूरा किया। जबकि, आपातकाल की घोषणा के कारण पांचवीं लोकसभा का कार्यकाल अनुच्छेद 352 के तहत 1977 तक बढ़ा दिया गया था। इसके बाद कुछ ही, केवल आठवीं, दसवीं, चौदहवीं और पंद्रहवीं लोकसभाएं अपना पांच वर्षों का पूर्ण कार्यकाल पूरा कर सकीं। जबकि छठी, सातवीं, नौवीं, ग्यारहवीं, बारहवीं और तेरहवीं सहित अन्य लोकसभाओं को समय से पहले भंग कर दिया गया।पिछले कुछ वर्षों में राज्य विधानसभाओं को भी इसी तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ा है। विधानसभाओं को समय से पहले भंग किया जाना और कार्यकाल विस्तार बार-बार आने वाली चुनौतियां बन गए हैं। इन घटनाक्रमों ने एक साथ चुनाव के चक्र को अत्यंत बाधित किया, जिसके कारण देश भर में चुनावी कार्यक्रमों में बदलाव का मौजूदा स्वरूप सामने आया है। उन्होंने कहा कि आचार संहिता के लगने से बार-बार क्षेत्र के विकास को अवरुद्ध होता है इसीलिए एक साथ चुनाव होंगे तो विकास भी आगे बढ़ेगा और योजनाएं भी बनेगी। इस अवसर पर विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश सहसंयोजक एक राष्ट्रीय एक चुनाव के सह जिला प्रभारी श्री आनंद बरुआ एडवोकेट ने विभिन्न लोक सभाओं की प्रमुख उपलब्धियों की समय-सीमा मध्यावधि चुनाव हुए। चुनाव से पहले ही विघटन हो गया।आपातकाल की घोषणा के कारण विस्तार।एक साथ चुनाव कराने के संबंध में उच्च स्तरीय समिति भारत सरकार ने 2 सितंबर 2023 को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक साथ चुनाव कराने पर उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। विचार संगोष्ठी को पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष श्री रविसेन जैन ने भी संबोधित करते हुए छात्र-छात्राओं का इस महत्वपूर्ण विषय पर ध्यान केंद्रित किया। इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के जिला उपाध्यक्ष उपेंद्र शर्मा जिला उपाध्यक्ष अनिल कटारे मंडल अध्यक्ष शेरू पचौरी, महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ आर ए शर्मा ने सभी अतिथियों का पुष्पगुच्छ देकर उनका स्वागत किया। सांसद श्रीमती राय एवं विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाहा ने कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती जी की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलित एवं माल्यार्पण कर किया । कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर प्रोफेसर मोहित दुबे द्वारा किया गया।
महाविद्यालय परिसर में सांसद विधायक ने किया वृक्षारोपण सांसद श्रीमती संध्या राय एवं विधायक श्री नरेंद्र सिंह कुशवाह ने एक पेड़ माँ के नाम, विद्यालय परिसर में वृक्षारोपण करते हुए पर्यावरण एवं पेड़ लगाने के लिए लोगों को जागृत किया और जलदान दिया।