निष्पक्ष चुनाव पर विपक्ष के प्रश्नचिन्ह

निष्पक्ष चुनाव पर विपक्ष के प्रश्नचिन्ह
(डॉ. सुधाकर आशावादी -विनायक फीचर्स)
             विश्व के बड़े लोकतंत्र में चुनाव प्रक्रिया से जुड़े अधिकारी व कर्मचारी जानते हैं, कि देश में ईवीएम के माध्यम से कितना सुरक्षित मतदान होता है, फिर भी विपक्ष चुनाव की निष्पक्षता पर ऊँगली उठाने से बाज नहीं आता तथा जनता को भ्रमित करने के लिए अनर्गल आरोप लगाता है। विपक्ष यह समझता है कि अफवाहें फैलाकर वह जनसाधारण को भ्रमित कर सकता है, किन्तु वास्तविकता को कोई नकार नहीं सकता। आम जनता भी  विपक्ष की मनःस्थिति से परिचित हो गई है, कि किस प्रकार तीन वंशवादी परिवारों की हताशा सड़कों पर उजागर हो रही है। हाल ही में वोट चोरी के नाम पर देश में अराजकता पूर्ण  वातावरण बनाने के उद्देश्य से बिहार में अपनी राजनीतिक धरती तलाश रही कांग्रेस की यात्रा का कोई असर जनमानस पर पड़ा या नहीं, यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है, किन्तु इतना अवश्य है कि यात्रा के संयोजकों के दोहरे चरित्र का खुलासा हो गया। पैसे देकर यात्रा में बुलाई गई भीड़ से यह भी सिद्ध हो गया कि औरों पर भ्रष्टाचार और वोट चोरी का आरोप लगाने वाली कांग्रेस खुद भी भ्रष्टाचार की दलदल में कितनी धंसी है। इस यात्रा से यह स्पष्ट हो गया कि लम्बे समय तक सत्ता सुख भोगने वाले परिवारों को सत्ता से बाहर रहना कितना अखरता है तथा उन्हें किस हद तक मानसिक रूप से विक्षिप्त कर सकता है। यात्रा के दौरान शाब्दिक मर्यादा का उल्लंघन तथा बिना पुष्ट प्रमाणों के संवैधानिक संस्था व देश के प्रधानमंत्री के प्रति अपमानजनक टिप्पणी से सिद्ध हो गया है, कि सत्ता से दूरी किस प्रकार से वंशवादी सामंती तत्वों की स्थिति जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली जैसी सरीखी बना सकती है। भले ही कांग्रेस इस यात्रा के लिए जुटाई गई भीड़ को आधार बनाकर यात्रा की सफलता पर अपनी पीठ थपथपाये, मगर सत्य यही है कि इस यात्रा से बिहार चुनाव या देश के मतदाता पर कोई प्रभाव पड़ने वाला नहीं है। इस यात्रा ने कांग्रेस के युवराज की बुद्धिलब्धि एवं संवैधानिक प्रक्रिया के संबंध में उनकी समझ पर ही प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *