प्रेस की स्वतंत्रता पर राजनाथ सिंह ने दिया जोर, बोले- आपातकाल की खेदजनक अवधि को छोड़कर…

0
118

केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को एक कार्यक्रम के दौरान भारत के लोकतांत्रिक ढांचे के भीतर प्रेस की स्वतंत्रता के मौलिक महत्व पर जोर दिया। देश के इतिहास पर विचार करते हुए उन्होंने टिप्पणी की कि आपातकाल की खेदजनक अवधि को छोड़कर, प्रेस पर कोई महत्वपूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। रक्षा मंत्री ने एनडीटीवी डिफेंस समिट में अपने संबोधन में कहा, “मीडिया को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में जाना जाता है।” उन्होंने कहा कि यह सरकार और लोगों के बीच एक कड़ी के रूप में काम करता है।रक्षा मंत्री ने कहा ऐसे लोग ये बात भूल जाते हैं, कि भारत की संस्कृति के ध्वजवाहक प्रभु श्री राम हैं, जो नैतिकता और आध्यात्मिकता के प्रतीक तो हैं ही, लेकिन साथ ही साथ भगवान राम का साम्राज्य भी “अ-योध्य” है, उनका बाण भी रामबाण है, जो अमोघ है। भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम तो हैं ही, लेकिन इसके साथ ही वो इस धरती पर अधर्म के नाशक भी हैं। वो शस्त्र और शास्त्र ज्ञान, दोनों के धारक हैं। इसलिए भगवान राम के विस्तार के रूप में, भारतीय संस्कृति को आप देखें, तो आपको भारत की सैन्य शक्ति और हमारी आध्यात्मिकता के बीच में कोई विरोधाभास नहीं, बल्कि पूर्ण तारतम्य दिखता है। जब आप भारत को भारत के नजरिए से देखेंगे, अपनी सेना को भारतीय नजर से देखेंगे, तो हर नागरिक को अपने देश की सेना पर गर्व होता है, क्योंकि सेना उस नागरिक की सुरक्षा के लिए होती है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि आज न सिर्फ भारतीय रक्षा व्यवस्था मजबूत है, बल्कि भारत भी मजबूती के साथ वैश्विक पटल पर उभर रहा है। और वह दिन दूर नहीं जब भारत न सिर्फ विकसित राष्ट्र के रूप में सामने आएगा, बल्कि हमारी सैन्य शक्ति दुनिया की सर्वोच्च सैन्य शक्ति बनकर उभरेगी। उन्होंने कहा कि भारत की रक्षा व्यवस्था इसलिए मजबूत हुई, क्योंकि हमने रक्षा व्यवस्था के साथ-साथ भारतीयता पर भी फोकस किया। हमने रक्षा व्यवस्था को न सिर्फ मजबूत किया, बल्कि उसे भारतीयों की दृष्टि के अनुसार मजबूत किया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here