राठ,हमीरपुर। शासन पेड़ बचाव जीवन बचाव अभियान चला रही है। लेकिन माफिया और प्रशासन की संलिप्तता के चलते जिले में प्राकृतिक संसाधनों का अकल्पनीय दोहन व लकड़ी का अवैध कटान का काला कारोबार जमकर फल फूल रहा है। और लकड़ी माफियाओं द्वारा दिन रात छूट प्रजाति और प्रतिबंधित हरे भरे पेड़ो का सरेआम कत्ल किया जा रहा है। कस्बा क्षेत्र के जंगलों और अन्य जगहों से हरे भरे पेड़ो को मशीन से काटकर ट्रैक्टर ट्रॉली में भरकर राठ कस्बा में संचालित लकड़ी अड्डियो में डम्प कर ट्रैकों में ओवरलोड लकड़ी भरकर जिले से बाहर भेजी जाती हैं।
लेकिन क्या यह चिंता का विषय नहीं? जरा सोचिए जब एक दिन पेड़ पौधे नहीं रहेंगे और चारों तरफ वीराना नजर आएगा। तो क्या इस धरती पर जीवन संभव होगा? क्या बिना पेड़ पौधों के हम जीवित रह सकते हैं? क्या छूट प्रजाति के पौधे ऑक्सीजन गैस नहीं छोड़ते, क्या पेड़ पौधे हमारे जीवन के लिए घातक है? आखिर इंसान पेड़ो के दुश्मन क्यों बने? चंद पैसों के लालच में प्रकृति के साथ छेड़छाड़ कर जंगल के जंगल साफ किए जा रहे हैं। मंडी सचिव के संरक्षण में फर्जी लाइसेंस की आड़ में राठ कस्बा में लकड़ियों की अवैध अड्डिया धड़ल्ले से संचालित है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि जब आधे से ज्यादा लकड़ी माफियाओं द्वारा संचालित अवैध अड्डियो पर कार्यवाही करके बंद कराई जा सकती हैं तो शेष बची अड्डियों को बंद कराने में प्रशासन ने क्यों घुटने टेक दिए है। क्या राजनीतिक संरक्षण या पैसे के दम पर इन दबंग माफियाओं पर कार्यवाही न करना मजबूरी बनी है। क्या बुरी तरह से तप रही धरती माता की पुकार को सुनने वाला कोई नहीं है? क्या इंसान इतना अंधा हो गया कि वन क्षेत्रों का विनाश कर पृथ्वी के सभी जीवो के लिए कब्र खोदी जा रही है। लेकिन प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करने की यही नामर्दानगी का परिणाम बहुत जल्द महाप्रलय के रूप में देखने को मिलेगा। और जिसका परिणाम दिखने भी लगा है। अंधाधुंध कटान से बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ रहे तापमान को लोग सहन नहीं कर पा रहे हैं। जल जीवन गहराता जा रहा है जिसने आज विकराल रूप ले लिया है। लेकिन बड़े बड़े दावे और कार्यवाही की बात करने वाला वन विभाग आज मौन क्यों है? राठ एसडीएम अभिमन्यु कुमार ने कहा कि बराबर जांच कर कार्यवाही की जा रही हैं।
फोटो-ट्रैक्टर ट्राली लकडी से लदी हुई