भाजपा नेता ने कहा कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के संबंध
में कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति की एसआईटी रिपोर्ट
के बाद, टीएमसी सरकार के तहत किए गए हिंदू विरोधी अत्याचार स्पष्ट
रूप से सामने आ गए हैं।भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद
डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने नई दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में एक प्रेस
कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान त्रिवेदी ने तृणमूल कांग्रेस पर जमकर निशाना
साधा। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में देश में जिस प्रकार से एक विशिष्ठ
प्रकार की राजनीति चल रही है, जो देश की आंतरिक सुरक्षा को और ताने बाने
को ध्वस्त करने के लिए किसी भी कीमत तक जाकर कमर कसे हुए दिखाई
देती है। आज न्यायालय द्वारा गठित SIT की रिपोर्ट आने के बाद पश्चिम
बंगाल में TMC सरकार की हिंदू विरोधी निर्ममता अपने पूरे विद्रूप रूप में
सामने आई है।भाजपा नेता ने कहा कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई
हिंसा के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति की
एसआईटी रिपोर्ट के बाद, टीएमसी सरकार के तहत किए गए हिंदू विरोधी
अत्याचार स्पष्ट रूप से सामने आ गए हैं। 11 अप्रैल 2025 (शुक्रवार, दोपहर
2:00 से 4:00 बजे तक) को दर्ज की गई टिप्पणियों ने टीएमसी, भारत
गठबंधन और तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के चैंपियनों की पोल खोल दी है
TMC सरकार के हिंदू विरोधी अत्याचार सामने आए
जिसमें एक विधायक का नाम भी शामिल है। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है
“सभी हमले शुक्रवार, 11 अप्रैल को दोपहर 2:00 बजे से स्थानीय पार्षद महबूब
आलम के निर्देश पर किए गए।” जांच में यह भी पता चला कि कुल 113 घर
क्षतिग्रस्त हुए और कई प्रभावित निवासियों को सुरक्षा के लिए मालदा भागने के
लिए मजबूर होना पड़ा। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि राजनीति का प्रकार चाहे कोई
भी हो, वार सिर्फ हिंदू समुदाय पर है। अगर पहलगाम में चुन चुनकर हिंदुओं को
मारा गया तो मुर्शिदाबाद में चुन चुनकर हिंदुओं को मारने का प्रयास किया गया।
उन्होंने कहा कि लोगों का स्थानीय पुलिस पर भरोसा खत्म हो गया है और वे
अपनी सुरक्षा के लिए बीएसएफ और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की स्थायी तैनाती
की मांग कर रहे हैं। रिपोर्ट बताती है कि पुलिस पीड़ितों की संकटपूर्ण कॉल का जवाब
देने में विफल रही। इसमें यह भी खुलासा हुआ कि हिंसा पूर्व नियोजित थी और
अपराधियों ने अपनी पहचान छिपाई थी। अब यह निर्विवाद रूप से स्पष्ट है कि
हालांकि हिंसा की प्रकृति अलग-अलग हो सकती है, लेकिन पहलगाम से
मुर्शिदाबाद तक एक ही बात आम है